नारी के राजनैतिक सशक्तिकरण की ओर...


नारी को सदियो से भोग की वस्तु समझा जाता रहा हैं और आज भी आधुनिक कहने वाले समाज में यह सिलसिला रूका नही हैं। नव संवत् 2075 व देवी पूजन की वेला चैत्र नवरात्रों पर मैं आप सभी को शुभकामनाएँ देता हूँदेवी पूजन के बहाने मैं यह बताने का प्रयास कर रहा हूँ कि आदिकाल में भी किस प्रकार नारी का उपयोग कर उसे भुला दिया जाता थाअपना काम पड़ता है। तो पुरूष सत्ता नारी का मान मनोवल करता है उससे कार्य सिद्ध करता हैं और उसे अधिकार या पद देने में संकोच करता हैं।


ब्रह्मा जी, जो उस समय की सबसे बड़ी पुरूष सत्ता थी देवी की स्तुति करते हुए कहते है कि आप भगवान विष्णु को जगा दे व उनमें मधु-कैटभ को मारने की इच्छा पैदा कर देंक्या ब्रह्मा जी यह नही कर सकते थे? मगर नारी ने पुरूष सत्ता की बात को स्वीकार किया और ब्रह्मा जी की मनोकामना पूर्ण की, देवी ने कितने ही दुर्धर्ष राक्षसो का वध किया जिनमे महिषासुर, रक्तबीज, शुम्भ-निशुम्भ, चण्ड़- मुण्ड़ व और कितने ही दुराचारी राक्षसो का संहार किया और बदले में मिला क्या, स्तुति गान और स्तुति गान से प्रसन्न होकर देवी वरदान देकर अन्र्तध्यान हो गई, यह वचन देकर कि कभी फिर मेरी जरूरत पड़े तो पुकार लेना, मै तुम्हारा हित करने को फिर उपस्थित हो जाऊँगी। इस कार्य के बावजूद भी उसे अधिकार क्या मिले। सभी अधिकार तो पुरूष सत्ता ने अपने पास ही रखे, जैसे प्रथम पूजनीय गणेश जी को बनाया, पार्वती को क्यो नही, दुर्गा को क्यो नही, वैष्णवी को क्यों नही, हम इनकी पूजा-अर्चना तो करेगें मगर अधिकार कोई नही देंगे, यह सिलसिला आज भी चल रहा हैं। भारतीय कानून तो महिलाओं को पैत्रक सम्पत्ति में अधिकार देता हैपरन्तु समाज यह अधिकार नहीं देता केवल भात-छूछक में थोड़ा बहुत सामान देकर इतिश्री कर देते है। यदि कोई महिला हिम्मत कर अपना हक मांगती भी है तो समाज व उसके सगे ही उसे लानत भेजते हैसमाज के डर से वह ठिठक जाती है और बात आई-गई हो जाती है। नारी पंचायत इस हक में है कि महिलाओं को पैत्रक सम्पत्ति में हिस्सा मिलना ही चाहिए और महिलाओं को अपना हक माँगना भी चाहिए।


मैने अपने अनुभव में देखा है कि जब कन्या की परवरिश होती है तो उसकी माँ-दादी कभी उसे उसके अधिकारों के बारे में नही बताती, उसे शिक्षा यही दी जाती है कि भाई से डरो, पति से डरो, पुरूषसत्ता से डरोनारी के मन मे कर्तव्य बोध तो कूट-कूट कर भरा जाता है मगर अधिकार की बात करना पाप बताया जाता है और उस पाप से उसे रौरव नरक में जाना होगा यह भी समझाया जाता है। नारी को सत्ता तभी मिल सकती है जब माताए अपनी बच्चीयों के मन से भय दूर करेगी, उन्हें शुरू से ही डराया नही जाएगा, उन्हें बराबरी की परवरिश मिलेगी, वही से नारी के राजनैतिक सशक्तिकरण का सपना पूरा होगा, पर मंजिल कठिन है।


मैं तो इस अभियान में लगा ही हूँ मगर मुझे ऐसे असंख्य हाथों की आवश्यकता है जो इस मुहिम में सहयोग करे - और निरन्तर बिना थके कार्य करते रहेयह भगीरथ प्रयास से भी विकट अनिरूद्ध प्रयास है, क्योकि महिलाएं खुद को ही कमजोर मानती है व राजनीति में आने से कतराती है। जब आप डाक्टर, इन्जीनियर, आई.पी.एस., आई. ए. एस., पायलैट, सैना में सफलता प्राप्त कर सकती है, स्पेस में जा सकती है तो राजनीति में क्यों नही?


हम यह चाहते हैं, हमारा यह लक्ष्य हैं कि पृथ्वी पर महिलाओं का शासन होना चाहिये। आप धरती कहो या वसुंधरा कहों पृथ्वी कहो या घरनी सभी स्त्रीलिंग को दर्शाते हैं। आप को यह मानना ही होगा कि पृथ्वी स्त्रीयों की ही हैं। पुरूषो ने तो इसे बलात्कब्जे में ले रखा हैं। इस सपने को, इस अभियान को, इस आंदोलन को पूरा करने का संकल्प लेकर नारी पंचायत की संरचना की गई हैइस आंदोलन को चरम तक ले जाने के लिए हमे दुनिया की प्रत्येक महिला व हम से इत्तेफाक रखने वाले पुरूषों की आवश्यकता हैं। विश्व में शान्ति स्थापना व मानव निर्मित लकीरो को अदृश्य करने हेतु नारी को पृथ्वी का शासन अपने हाथ में लेना ही होगाजब महिलाएं घर को संवार कर सुन्दर बना सकती हैं तो विश्व को भी सुन्दरत्तम बना सकती।


आगे बढ़ो और बढ़ती चलो, जब तक वसुंधरा पर नारी का, शासन स्थापित हो जायें... 


                                                                                                                                 अनिरूद्ध कुमार गौड़


                                                                                                                                      9911105999