प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान सऊदी अरब के नए ऊजो मख्य सहयोगी बन चका है. वो कहते हैं. साल 2014 और सऊदी अरब, इराक और संयुक्त अरब अमीरात, कीमतों को मत्री बने है. क्राउन प्रेिस के सौतेले भाई मोहम्मद बिन 2016 में तेल की कीमतों में नाटकीय रूप से आई गिरावट बढ़ने देने के लिए तेल उत्पादन में कटौती की नीति में सलमान अब्दुलअजीज ने ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम के बाद ओपेक प्लस समझौता हाल के सालों में तेल की हमेशा से रुचि दिखाते रहे हैं.लेकिन रूस का रुख साफ एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (ओपेक) में कई वार्ताओं में प्रमुख कीमतों में बढ़ोतरी की मांग से संबंधित है. बेल के अनुसार, नहीं है, जबकि वार्ताओं में उसकी भूमिका लगातार बढ़ रही भूमिका निभाई है. अपने पहले सार्वजनिक भाषण में ऊजा सऊदी अरब और पुतिन की सरकारों के बीच रिश्तों की है. विश्लेषकों के मुताबिक, पुतिन की रुचि वाणिज्यिक मत्री ने कहा कि तल उत्पादन कम करने पर आपक प्लसर जड़ें तेल सहयोग से कहीं अधिक गहरी हैं. सउदी अरब ने हितों से आगे मध्य पूर्व की भू–राजनीति में अपने देश की में बनी सहमति के बाद वो इस नीति को आगे बढ़ाएगे. रूस में परियोजनाओं में करीब ढाई अरब डॉलर का निवेश भमिका बढाने की बडी महत्वाकांक्षा में निहित है.
शेल आपक प्लस दरअसल तल उत्पादक दशा क सगठन आर किया है.हालांकि अब्दुलअजीज को कच्चे तेल की कीमतों ऑयल की वजह से अमरीका एक प्रमुख तेल उत्पादक देश रूस आर अन्य दशा क बीच गठबंधन है. अब्दुल अजीज न में बढ़ोतरी की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. ये के रूप में उभरा है.एक नई तकनीक जिसे प्रैकिंग कहा अबू धाबा म एक ऊजा सम्मलन का सबाधित करत हुए काम बहत आसान नहीं है. ये देखते हए कि अमरीका ने जाता है, इसका इस्तेमाल कर अमरीका 2018 में ही दुनिया कहा, अब हमारे पास एक नया परिवार है, आपक प्लस. पिछले पांच सालों में अपने तेल उत्पादन को बढ़ा दिया है. का सबसे अग्रणी तेल उत्पादक देश बन गया है, हालांकि उन्होंने कहा, हम जल्द ही इस गठबंधन का जश्न मनाएंगे, और अब अमरीका और चीन के बीच ट्रेड वॉर वजह से यह तकनीक पर्यावरणविदों की आलोचना के निशाने पर है. जो हमें एकता के सूत्र में जोड़े रखेगा, मरते दम तक. वैश्विक आर्थिक विकास दर और साथ ही साथ तेल की विशेषज्ञ बताते हैं कि इस तरह अमरीका की ओर से कच्चे उन्होंने साफ कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मांग को खतरा पैदा हो गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि तेल की पर्याप्त आपूर्ति के कारण ओपेक की मंशा सफल साथ गठबंधन लंबे समय तक चलेगा. असल में अब्दुल ये संभव है कि अगले साल तेल उत्पादक देशों का ये नहीं हो पा रही है.
साल 1960 में ओपेक का बगदाद में गठन अजीज उस टीम का हिस्सा थे जो रूस के साथ 2016 के संगठन तेल कटौती के नए लक्ष्य की घोषणा करे. अमरीका हुआ था और तब से ही कच्चे तेल की कीमतें तय करने में अंत तक तेल उत्पादन में कटौती के समझौते को अंतिम के यूनिवर्सिटी ऑफ टुलस में स्कूल ऑफ एनर्जी, इस संगठन के पास बेशुमार ताकत और हस्तक्षेप की क्षमता रूप देने में शामिल रही, ताकि तेल की कीमतें बढ़ें. इस पॉलिटिकल एंड ट्रेड इकोनॉमिक्स के निदेशक टॉम सेंग के थी.मौजूदा समय में ओपेक में 15 देश शामिल हैं, मध्यपूर्व से समय सीमा को अब मार्च 2020 तक बढ़ा दिया गया है. अनुसार, मौजूदा दरों पर न तो रूस और ना ही सऊदी सात देश, छह अफ्रीका से और दो लातिन अमरीकी देश हाल ही में कच्चे तेल की कीमतें बेंट के प्रति बैरल के लिए अरब अपने बजट खर्चों के लक्ष्य को हासिल कर सकता है. (वेनेजुएला और इक्वाडोर). एजेंसी के आधिकारिक डेटा के 60 अमरीकी डॉलर पर स्थिर हो गई हैं. ये कीमत सऊदी साल 2016 के अंत तक तेल उत्पादन में कटौती पर अनुसार, ये सभी देश मिलकर दुनिया की 44 फीसदी तेल अरब और रूस की उम्मीदों से काफी कम है, तेल उत्पादन मोहम्मद बिन सलमान और पुतिन के बीच सहमति बनी थी.
आपूर्ति और 82 प्रतिशत भंडार को नियंत्रित करते हैं.ओपेक पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देश अब ये सीमा मार्च 2020 तक बढ़ा दी गई है.सेंग कहते हैं, के सहयोगी देश हैं रूस, अजरबैजान, बहरीन, ब्रूनेई, अपने आर्थिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस कीमत ज्यूंकि अभी ये अपनी इच्छा से किए गए समझौते है इसलिए कजाखस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, सूडान में 20 अमरीकी डॉलर की बढ़ोतरी चाहते हैं वॉशिंगटन के ओपेक रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना चाह गणराज्य और दक्षिणी सूडान गणराज्य ओपेक को उम्मीद ग्लोबल एनर्जी सेंटर फॉर अटलांटिक काउंसिल के रहा है.क्योंकि मॉस्को इस गठबंधन से कभी भी पीछे हट है ओपेक प्लस में इन देशों के साथ मिलकर वो एक बार निदेशक रैंडोल्फ बेल ने कहते हैं, रूस सऊदी अरब का सकता है. ओपेक के तीन सबसे बड़े तेल उत्पादक देश- फिर तेल की कीमतें तय करने में निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में आ जाएगा.